'वधू चाहिए....' तो कैसी चाहिए?शादी के 'वधू चाहिए' विज्ञापनों पर आप भी नजर डालते होंगे और मैं भी डालती हूँ.... ऐसे विज्ञापनों से समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ, जीवनसाथी और शादी.कॉम जैसी वेब-साइट्स.... भरे पडे है!.... लड़की कुछ ऐसी चाहिए होती है....सुशील , उच्चशिक्षित, संस्कारी, लम्बी, पतली, बड़ों का आदर करने वाली.... दुनियाभर के सभी अच्छे गुणों से युक्त चाहिए होती है!... एक अहम् बात तो यह कि वैसे साथ साथ कामकाजी हो तो सोने पे सुहागा।!..... वैसे साथ साथ उसका घरेलु होना भी जरुरी है !.... लो ....कर लो बात!....ये तो ऐसा है कि लड़की खुलकर हँसे भी ....लेकिन हंसने की आवाज नहीं आनी चाहिए! लड़की को अपनी बात सामने रखने की पुरी स्वतंत्रता है... लेकिन वह अपना मुंह खोल नहीं सकती!...वह चाहे तो अपनी मरजी से लम्बी दौड़ लगा सकती है.... लेकिन शर्त यह कि वह अपनी जगह से हिल नहीं सकती!
कामकाजी लड़कियों की मांग कुछ ज्यादा ही है!.... वैसे महंगाई के जमाने में ये मांग सही भी है....लेकिन!.... यहाँ भी देखिए कि 'लेकिन' रास्ता रोके खड़ा है !.... अब वर पक्ष का कहना है कि लडकी सुशील होनी चाहिए!... अब लड़की अगर अपने कामकाज के क्षेत्र से जुड़े पुरुषों से हँसी मजाक कर लेती है, या किसी के साथ कभी कहीं आती जाती है तो उसकी सुशीलता पर प्रश्नचिंह लगाने से ससुराल वाले चुकते नहीं है!.... तो विज्ञापन में उसकी कमाई पर नजर क्यों रखतें है?लड़की का कामकाजी होते हुए भी घरेलु होना जरुरी है.... मतलब कि घर के कामों में दक्ष भी हो और करे भी!... चूल्हा-चौका, ससुरालवालों की सेवा , मेहमानों की आवभगत....इतना सबकुछ संभालकर ही वह कामकाज करें!....इसका क्या मतलब? ....इसका मतलब कि वह घर और बाहर....दोनों क्षेत्रों की जिम्मेदारियां सभालें।...ऐसा क्यों?क्या आज के युवा इतनी संकुचित मानसिकता से भरपूर है?... अगर नही है, तो 'वधू चाहिए' के ऐसे वाहियात विज्ञापनों पर रोक लगा दें।... और विज्ञापन देने से पहले यह तय कर ले कि वधू कामकाजी चाहिए या घरेलु चाहिए।... दो नावों में पैर रखकर यात्रा करने की तमन्ना रखने वालों का हश्र् क्या होता है.....ये हमें बताने की जरुरत नहीं है। लड़की का सुंदर, सुशिल, संस्कारी वगैरा वगैरा होना क्या होता है.... इसकी व्याख्या पहले तय करें!
धड़ाम से गिर गया शेर.... आपने आवाज सुनी? मैंने तो सुनी! ... इंटरनेशनल धमाका था! ... मुझे लगता है, बहरों को भी सुनाई पड़ा होगा! चारों ओर हाहाकार मच गया!... जैसे सुनामी आ गई; जैसे बम-ब्लास्ट हुआ; जैसे भूचाल आ गया, जैसे डमरुवाले बाबा ने तांडव शुरू किया; जैसे पृथ्वी से मंगल आ कर टकराया!.... कोई कुछ समझ बैठा, तो कोई कुछ!सुननेमें यह भी आया कि कुछ लोगों को बहुत खुशी हुई.... इसलिए कि उन्होंने शेर मार्किट में टके लगाए नहीं थे!... हो सकता है कि उनके पास लगाने के लिए थे ही नहीं ....लेकिन यह तो अंदर की बात है!.... यह लोग लड्डू-पेढे बाट्तें देखे गए!... दूर क्या जाना.... हमारे पड़ोसी ही -शायद पहली बार - हमारे यहाँ मिठाई का डिब्बा लेकर पधारें!... बहाना तो पप्पू के पास होने का था!.... जब कि हम जानतें है कि पप्पू ने हाल ही में कोई परीक्षा नहीं दी है!...तो शेर गिर गया !.... कुछ लोगों ने बहती गंगा में नहाना मुनासिब समझा! .....जिन लोगों के 20से 50 हजार रुपये शेरने निगले हुए थे; वे बोल रहे थे कि वे 50लाख गवां बैठे !.... एक शेर मार्किट के पुराने खिलाडी .... जिनको हम जानतें है और मानतें है कि .... उनके 20लाख जरुर शेर निगल गया होगा!.... वे लोगों को कहतें फ़िर रहे है कि उन्हें 2 करोड़ का फटका लगा!....अब ऐसे में कई लोग अपने आप को मालदार साबित करने में लगे हुए है ; तो हम क्या करें?... कुछ कमजोर दिल के लोग .... इतना बड़ा हादसा सहन नहीं कर पाने की वजह से बेहाल हो गए और समाज से कटकर रह गए है!.... कुछेक लोगों की आत्महत्या करने की खबरें भी आ रही है... उनके लिए हमें बेहद अफसोस है!.... काश कि वे इतना बड़ा कदम न उठातें!... यह तो इंटरनेशनल धमाका है.... शेर के गिरने से जंगल में ....याने कि मार्किट में ..... हायतौबा मची हुई है!... सभी उद्योग-धंदों पर मंदी के बादल छाये हुए है!.... हमें तो दुःख इस बात का है कि .... टी.वी। पर से विज्ञापनों की भीड़ छट गई है!... तो देखा?...शेर ने गिरकर भी हमारा कुछ नहीं बिगाडा,... फ़िर भी हम कितने दुखी है?....उम्मीद पर दुनिया कायम है!.... हम उम्मीद करतें है कि शेर फ़िर से पेड़ की चोटी पर नजर आए!
'चीनी कम' देखी और हमारा माथा ठनका....
फ़िल्म 'चीनी कम ' नई रिलीज हुई फ़िल्म नहीं है... लेकिन किसी न कीसी वजह से हमारा देखना रह जाता था... इस फ़िल्म के बारे में भी बहुत से लोगों से बहुत कुछ सुना था!.... कल हमारा इन्टरनेट काम नहीं कर रहा था... सो हम टी.वी की तरफ मुड़ गए... चैनल, एक के बाद दूसरा बदलते बदलते हम 'चीनी कम ' फ़िल्म पर रुक गए और पुरी फ़िल्म आराम से देख डाली
... अमिताभ बच्चन और तब्बू की प्रेम कहानी है... लेकिन उम्रका फासला देखा तो , पहले हम समझ ही नहीं पाए कि इस फ़िल्म से कौन सी शिक्षा समाज को दी जा रही है?...चलो शिक्षा न सही; मनोरंजन का उद्देश्य भी यहां नजर नहीं आया... पिछले पोस्ट में हमने 'दूसरी औरत की वजह से उठती समस्या ' पर सवाल उठाया था; ( एक ब्लॉगर साहब ने इस पर बवाल भी उठाया।)..................लेकिन इस फ़िल्म में प्रणय त्रिकोण भी नहीं था!... हीरो और हिरोइन का ही बोलबाला था!... कहानी लन्दन में घटित हो रही थी.... जैसे कि विदेशी प्रृष्ठभूमि का आंचल हर फिल्म में थामा जाता है।
... 64 साल के बच्चन और 34 साल की तब्बू का मिलाना-जुलना, दोनों के बीच प्यार का पनपना और शादी के मंडप तक पहुंचना... शादी भी कर लेना और सुखी वैवाहिक जीवन का आनद भी उठाना.... यह सब एक फ़िल्म में ही हो सकता है... फ़िल्म के बाहर नहीं
.... अमिताभ बच्चन का एक कैंसर पीड़ित बच्ची से मित्रता, हमदर्दी और लगाव .... कहानी का यह हिस्सा ह्रदय को छू लेता है.... तब्बू के साथ रोमांस करना, तब्बू के पिता परेश रावल के विरोध की परवा न करना, अंत में अपनी मनमानी करते हुए शादी कर लेना... समाज को यह फ़िल्म कौनसी दिशा में ले जाना चाहती है?
... कुछ दशकों पहले, समाज में इसी बात का विरोध चलता आ रहा था.... 'बड़ी उम्र के पुरूष अपने से बहुत छोटी उम्र की लड़कियों से शादी न करें, इसके लिए लोगों को समझाया जा रहा था... लोग समझ भी चुके थे; ऐसी शादियाँ होनी लगभग बंद भी हो चुकी थी... तो फ़िर पानी का बहाव ये फ़िल्म वाले, उलटी दिशामें क्यों मोड़ना चाहते है?... क्या फिल्मों के लिए कहानियों का अकाल पड़ गया है, जो ऐसी कहानियाँ लिखी जा रही है? ....ऐसी कहानियाँ जो समाज की मानसिकता को बिगाड़ कर रख दें?
माना कि अमिताभ बच्चन और तब्बू मंजे हुए कलाकर है; लेकिन इनकी कला का इस्तेमाल समाज को सही दिशा में मोडने के लिए होना चाहिए... न कि गलत दिशा में मोडने के लिए।
किस्सा दूसरी औरत का !
यहाँ महिलाओं की कई समस्याओं में से एक समस्या पर हम प्रकाश फेंकने की कोशिश कर रहे है!... अगर हमारी बात गले उतारने लायक या गांठ में बांधने लायक न लगे तो.... इसमें हम कुछ नहीं कर सकतें!... तो समझ लीजिए कि, ये समस्या सदियोंसे चलती आ रही है!... मुगले आज़म के जमाने में भी थी; पं जवाहरलाल जी के जमाने में भी थी; अमिताभ बच्चन- जया भादुडी के जमाने में भी थी;.....और आज भी ज्यूँ की त्यूं है!... ये समस्या दूसरी औरत की है!... बतादें कि इस पोस्ट को पुरूष भी पढ़ सकतें है! वरना बाद में कहेंगे कि.... बताया नहीं तो हम क्यों पढ़तें? ...तो दूसरी औरत का, पति के साथ का चक्कर सहन न करने वाली एक महिला ने खुदकुशी करने की ख़बर अख़बार में पढ़ी और हमारी आँखे नम हो उठी... दिल में एक टीस सी भी उठी और हमने तुंरत कलम उठा ली!..... सोच विचार के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचें। ... वैसे सोच-विचार हम ज्यादा नहीं करते।1. दूसरी औरत के साथ के पति के संबंध के बारे में ... किसी के कहने पर एकदम से विश्वास न करें !... हो सकता है कि कहनेवाले को कोई ग़लत-फहमी हो गई हो ...या मजे लेने के लिए उसने मन-गढ़ंत कहानी बना कर आपको सुनाई हो!2.अगर पता भी चल चुका कि पति के जीवन में दूसरी औरत प्रवेश कर चुकी है; तो भी और धीरज से काम लेते हुए सर्व प्रथम तो पति के समक्ष यह जाहिर न होने दें कि आपको पता चल चल चुका है... क्यों कि इससे उस औरत का पति से मिलना-जुलना और भी बढ सकता है... शर्म की एक दीवार जो पति-पत्नी के बीच आवश्यक है; वह ढह सकती है।3. पता चलने के बाद उस दूसरी औरत के साथ संबंध इतने प्रगाढ बनाएं कि उसकी अच्छाई के साथ साथ उसकी बुराइयां भी पति को नजर आएं... दूसरी औरत के साथ पैसे और दूसरी चिज-वस्तुओं का आदान-प्रदान बढाने से भी वैमनस्य पैदा हो जाता है।... 'पैसों का लेन -देन कलह पैदा करता है'... इस बात को अमल में लाए। 4.दूसरी औरत की बुराइयां पति के सामने करने से, पति की उसकी तरफ और ज्यादा झुकने की संभावना रहती है... अतः चालाकी से और ठंडे दिमाग से उस औरत को हटाने की कोशिश करे॑।...उसकी बुराई ना करें।5. देखा गया है कि ऐसे संबंध ज्यादा नहीं चलतें... तो जल्दबाजी और गुस्से में अपने पैर पर पत्थर मार कर दूसरी औरत का मार्ग सुगम ना बनाएं। आत्महत्या की तो सोचे भी मत।... सिर सलामत तो पगडी पचास।...अरे भई॥ पति को दूसरी औरत मिल सकती है तो क्या आपको दूसरा पति नहीं मिल सकता? ( वैसे यह विषय सीरियस है..तो मजाक के लिए हम क्षमा चाहतें है।).... और फिर अपनी उन कमियों की तरफ भी ध्यान दें... जिनके होते हुए आपके पति दूसरी औरत के चुंगल मे फंसे हुए है।.... उन कमियों के दूर होते ही आपके पति आपको वापस मिल सकतें है और दूसरी औरत वर्तमान से भूत बन सकती है।